मंगलवार, नवंबर 29, 2011

औकात (कविता)

                  पढ़िए नव्या में प्रकाशित कविता औकात

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1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आज मचाई मंच पर, कुछ लिंकों की धूम।
अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।

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